GDP क्या होता हैं और क्यूँ ज़रूरी हैं देश के लिए |

पहले समझ अंतिम वस्तु –
अब जैसे एक लैपटॉप को बनाने में, मान लो बनाने में मेरे को 800 रूपये लगता हैं, अब इस लैपटॉप को बनाने में मेरे को बहुत चीज़ लगा, processer लगा, सॉफ्टवेर लगा, तो यह सब करने के बाद में 800 रुपया मेरे को लगा जाता हैं उसको बनाने में,
अब मैं इसको बेचता हूँ, 1000 रुपया में, तो यह अंतिम मूल्य है, मतलब मेरे को कुछ मतलब नहीं हैं, Processer से, उसके लागत में कितना पैसा लगा उससे,
मेरे को मतलब है कि मैं बेच कितने में रहा हूँ, उस पर कितना भी टैक्स हो कुछ भी हो, उससे कोई मतलब नहीं हैं,
तो मान लो कि मैंने ऐसे 10 लैपटॉप बनाएं और तो मेरा जो लागत हैं, वो 8000 जिससे मेरे को कोई मतलब नहीं हैं,
मेरा Selling Price 1000 मतलब 10000 पूरा लैपटॉप का Price,
तो यही GDP हैं, इसमें थोडा कोन्फुसिओं मेरे को देखना हॉग,अ लेकिन अभी के लिए इतना ही,
भले ही यह प्रोडक्ट तेरा बिके या न बिके,
मान लो कि
अब समझ –
दो प्रकार के तू पैसा कमाता हैं,
एक service से, दूसरा वास्तु बेचकर के,
मतलब service, अब बाल काट रहा हैं, तो service हैं, सिनेमा हॉल सर्विस हैं,
अब तू लैपटॉप बेचा, यह वास्तु हैं, तो यही दो तरीका से पैसा कमाया जाता हैं –

GDP vs GNP में अंतर

अब समझ कि तीन कम्पनी हैं चार कंपनी हैं या लोग हैं,

  1. andrew tate(american company in India
  2. ritesh das(indian compnay in india
  3. sakshi malik( indian company in india)
  4. raju dhobi( indian componay in america)

Andrew Tate साहब इंडिया में 100 रुपया का प्रोडक्ट बनाते हैं,
रितेश भाई 500 का
और साक्षी मालिक का प्रोडक्ट का अंतिम वैल्यू 200 हैं
और राजू धोबी 200 रुपया का प्रोडक्ट अमेरिका में बनाते हैं,
अब india का GDP जोड़ना हो, तो 100+500+200=800 रुपया इडिया का GDP हैं लेकिन राजू का धोबी का जो पैसा हैं, वो America के GDP में जोडायेगा,
अब यहाँ पर आता हैं, GNP
तो एंड्रू भाई का पैसा चला गया, इसलिए वह विदेशी थे  तो अब कितना बचा, ritesh das , 500 और साक्षी मालिक 200 मतलब 700 ठीक,
लेकिन राजू धोबी का पैसा आया , राजू भाई 200 रुपया सब टैक्स वैक्स देकर के भारत लायें,
तो अब GNP,

500(ritesh)+200(Sakshi)+200(raju dhobi)=900 GNP

तो मतलब जो आपका हैं, मतलब जो आपका National हैं,
depreciation तो तो ऐसे समझता है ही है कि अगर मोटरसाइकिल हैं तो आज जितना में ख़रीदा हैं, अगले साल,
उससे कम ही बेचेगा, यानी उसका value घटते ही जाता हैं,
अब GDP में समझ यह कैसे काम करता हैं –

Depreciation GDP में समझने की ज़रुरत हैं |

Final Product कैसे का निर्णय कैसे किया जाता हैं ?
जैसे किसी मान लीजिये की एक टायर हैं, तो एक कंपनी ने 100 tyre बनाया और
उसमें 20 गाडी में लग गायें , तो फाइनल प्रोडक्ट यहाँ एक गाडी हो गया, लेकिन चूँकि 80 tyre अभी भी बचे हुए हुआ हैं, मतलब अभी ये Final Product हैं,
तो इसका कैसे होता हैं ?
तो इसमें क्या होता है कि तो
gdp जो होगा
वो होगा ,
20 गाडी (Final product)+80 tyre , तो इस टायर को भी जोड़ा जाता हैं, जब तक यह सोल्ड न हुआ हो,
तो ऐसे कर के,

GDP Market Price पर क्या होता हैं ?

इसमें subsidies और tax मिलकर के होता हैं,
मतलब जैसे मान लो कि मैंने कलम बनाया, मेरे को 10 रुपया लगता हैं, उसको बनाने में,
अब मैं उसको 11 rupya में बेचता हूँ, मतलब और फिर उसमें 10% tax भी हैं,
मतलब 12 rupees 10 paisa तो यह Market प्राइस हो गया, मतलब इसमें Tax भी जुड़ा हुआ हैं, लेकिन अब इसमें tax को और subsideis को हटा दिया जाएँ, तो यह GDP at factor cost हो जाता हैं |
तो GDP जो हमलोग नेवसपपेर में देखते हैं, वो market price पर होता हैं, मतलब उसमें tax इन्क्लुदेद होता हैं |

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